Kemdrum Yoga: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्मकुंडली में कुछ ऐसे योग होते हैं जो व्यक्ति को जीवन में बहुत अधिक सफलता दे सकते हैं तो वहीं कुछ ऐसे योग भी होते हैं जो अच्छे-अच्छे राजयोगों को भी समाप्त कर सकते हैं। ऐसा है एक योग है केंमद्रुम योग जिसे अत्यंत ही अशुभकारी योग कहा जाता है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं क्या है यह केंमद्रुम योग और क्या है इसके उपाय।
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Kemdrum Yoga: केमद्रुम योग और इसके उपाय
ज्योतिष शास्त्र के दुर्लभ ग्रंथ मानसागरी के अनुसार जब चंद्र किसी ग्रह से युत न हो, चंद्र से द्वितीय तथा द्वादश स्थान में जब कोई ग्रह न हो तथा शुभ ग्रह चंद्र को न देखते हों तो “केमद्रुम योग” की रचना होती है। राजयोग और मंगलकारी योग जन्मपत्रिका में चाहे जितने निर्मित होते हों परंतु यदि एक ‘केमद्रुम योग बनता है तो सारे राजयोग और मंगलकारी योग उसी प्रकार नष्ट हो जाते हैं जैसे एक सिंह सारे गजसमूह को भगा देता है। यह योग दुख का मूल है।
इस योग के प्रभाव के कारण जातक के एकत्रित धन का नाश होता है, पुत्र व पत्नी संबंधी पीड़ा देता है। जातक निर्धन, इधर-उधर भटकता है तथा धन प्राप्ति हेतु दर-दर भटकता है परंतु धन एकत्रित नहीं होने देता।
केमद्रुम योग निवारण हेतु उपाय : सोमवार के दिन (शुक्ल पक्ष के प्रथम) सफेद धागे में प्राण प्रतिष्ठित सिद्ध चंद्र यंत्र धारण करें।
किसी भी शनिवार के दिन “सिरनी वृक्ष की जड़ को अभिमंत्रित कर रविवार को प्रात काल लाकर चांदी के ताबीज में भरकर सफेद धागे में ताबीज को गले में धारण करें।
किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के सोमवार से प्रारंभ कर 4 सोमवार लगातार सवा चार किलो चावल नए सफेद वस्त्र में बांधकर बहती हुई नदी में प्रवाहित करें।